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"George Pancham Ki Naak" Chapter - 2 Class 10. kritika book NCERT and CBSE.

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"mata ka aanchal" Part 2 Chapter - 1 Class 10. kritika book NCERT and CBSE.

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"George Pancham Ki Naak" Kritika Book Class 10. Ncert and Cbse.

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 [George Pancham Ki Naak Kamleshwar summary.] “जार्ज पंचम की नाक कमलेश्वर” जार्ज पंचम की नाक :-   इसके लेखक श्री कमलेश्वर जी है यह एक व्यंग्य है। इस कहानी में बात उस समय की बताई गई है। भारत में इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ हिन्दुस्तान आने वाली थीं।  देश के सभी अखबारों में इसी शाही दौरे  के चर्चे हो रहे थे। लंदन के अखबारों में रोज यह खबर छापी जा रही थी। इस दौरे पर किस - किस तरह की तैयारी की जा रही हैं। इस बात  को लेकर रानी एलिजाबेथ का दर्जी भी बहुत परेशान था। यहां पर सेक्रेटरी और जासूस दौरा उनसे पहले करने वाले थे । रानी की जन्मपत्री से लेकर प्रिंस फिलिप कारखानों के साथ-साथ रानी के नौकर, बावर्ची, अंगरक्षक, दर्जी जहां तक की रानी के कुत्ते की खबर भी अखबार में छापी गई थी। इस बात की बड़ी धूम थी।  इंग्लैंड में शंख बज रहे थे । पर उसकी गूंज हमें भारत में सुनाई दे रही थी। इन अखबारों में छापी गई खबरों के कारण हिंदुस्तान में सनसनी पूरी तरह से फैल गई थी ।  दिल्ली में शाही सवारी के आगमन पर बहुत धूम गूंज रही थी। इस खबर को सुनते ही हिंदुस्तान में सनसनी सी मची हुई थी। पूरी दिल्ली र

"mata ka aanchal" kritika Book class 10. summary Ncert and cbse.

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  पाठ का सार:- माता का अँचल माता का अंचल पाठ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखित पाठ है । इस पाठ के लेखक शिवपूजन सहाय जी हैं । इस पाठ में शिवपूजन सहाय ने अपने बचपन के बारे में बताया है । यह एक कहानी है । लेखक इस कहानी के माध्यम से ग्रामीण जीवन के बारे में बड़ा ही सुंदर वर्णन करते हैं । यह कहानी लेखक और उनके माता-पिता के आपसी प्रेम संबंध पर आधारित है । इस कहानी का प्रारंभ पिता और पुत्र के आपसी प्रेम संबंध से होता है । और विभिन्न तरह की गतिविधियों से होता हुआ माता के प्रेम पर आकर रुक जाता है । इस कहानी में लेखक के पिता उनसे बहुत प्रेम करते हैं । और लेखक बचपन से ही अपने पिता के साथ रहते हैं,उनके साथ सोते हैं । पिताजी  ही नहालाते हैं फिर पूजा के समय अपने पास ही लेखक को बैठा लेते हैं । पिताजी लेखक को प्यार से भोलानाथ कह कर पुकारते हैं । और साथ में बहुत मस्ती भी करते हैं । इस तरह पिता और और पुत्र में बहुत प्रेम है । किंतु जब भी लेखक को कोई दुख - दर्द या विपदा या किसी बात का डर  होता है । तो वह सिर्फ अपनी माता की गोद में जाकर ही स्वयं को बहुत सुरक्षित महसूस करने का एहसास करते हैं । और स्वयं